पराली न जलाकर किसान ने कमाए लाखों रुपये, दिल्ली के गैस चैंबर बनने के बीच अच्छी खबर
ये किसान कैसे करता है लाखों की कमाई?
पप्पन ने बताया कि वो पराली से जैविक खाद तैयार करते हैं. फिर उस जैविक खाद का इस्तेमाल मशरूम की खेती में करते हैं और हर साल लाखों की कमाई करते हैं. पप्पन पराली से ही एक झोपड़ीनुमा डार्क रूम बनाते हैं और फिर रैक बनाकर उस जैविक खाद के जरिए मशरूम की खेती करते हैं.
पराली जलाने को मजबूर क्यों हैं किसान?
किसान पप्पन के मुताबिक, छोटे किसान ही पराली जलाते हैं. पप्पन जैसे किसान कृषि यंत्र किराए पर लेकर उससे जैविक खाद बनाते हैं. पप्पन के मुताबिक, बायो डिकंपोज जैविक खाद छोटे किसानों के लिए ज्यादा फायदेमंद नहीं है. वो 24 से 25 दिनों के लंबे अंतराल तक खेत को खाली नहीं रख सकते हैं.
उन्होंने आगे कहा कि वाकई अगर सरकार प्रदूषण को लेकर गंभीर है तो उन्हें कृषि यंत्रों में सब्सिडी देनी चाहिए ताकि किसान पराली न जलाकर पराली का फायदा उठाए. अगर ऐसा नहीं होता है तो किसान के पास पराली जलाने के अलावा कोई और विकल्प नहीं है. हालांकि सरकारी महकमा बायो डिकंपोज इस्तेमाल करने के लिए जागरूकता फैलाने की कोशिश में जुटा है.
पप्पन ने कहा कि दिल्ली सरकार हर साल पराली न जलाने का जागरूकता अभियान चलाने के लिए विज्ञापन में करोड़ों खर्च करती है. उसी पैसे का इस्तेमाल खेती से जुड़ी मशीनों के लिए करें तो इस पराली का उपाय भी निकल जाएगा.
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